लोग मेरे साथ क्यों कर चल रहे हैं
बस इसे ही देख कर वे जल रहे हैं
बस इसे ही देख कर वे जल रहे हैं
लोग खुद तो कुछ नहीं करते यहाँ
हम अगरचे कर रहे तो खल रहे हैं
जो सही थे हम नहीं पहचान पाए
मर गये तो हाथ केवल मल रहे है
ये मेरे सपने मुझी पर तो गए हैं
अस्त हो कर के दुबारा पल रहे हैं
चन्द्रमा-सूरज नहीं बन पाएँगे
हम तो केवल दीप बन कर जल रहे हैं
जिनको दौलत, हुस्न पे कल नाज़ था
आज देखो वे सितारे गल रहे हैं
एक दिन सूरत बदल कर ही रहेंगे
किन्तु अपने काम कल पे टल रहे हैं
जो सही थे हम नहीं पहचान पाए
ReplyDeleteमर गये तो हाथ केवल मल रहे है,..
वाह...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति // बेहतरीन रचना //
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चन्द्रमा-सूरज नहीं बन पाएँगे
ReplyDeleteहम तो केवल दीप बन कर जल रहे हैं
अच्छा लिखा है ...!!
शुभकामनायें ...!!
लोग मेरे साथ क्यों कर चल रहे हैं
ReplyDeleteबस इसे ही देख कर वे जल रहे हैं
लोग खुद तो कुछ नहीं करते यहाँ
हम अगरचे कर रहे तो खल रहे हैं
बहुत खूब .... खूबसूरत गजल
आज 06/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
भूल सुधार ---
ReplyDeleteकल 07/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
चन्द्रमा-सूरज नहीं बन पाएँगे
ReplyDeleteहम तो केवल दीप बन कर जल रहे हैं
ये दीपक भी कम रौशनी नहीं देता.
और कल काम टालिए मत :) आज कर ही डालिए:)
बहुत सुन्दर शब्द रचना बहुत २ बधाई |
ReplyDeleteसुंदर भाव संयोजन से सुसजित सार्थक प्रस्तुतिसमय मिले आपको तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
ReplyDeletehttp://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/
लोग मेरे साथ क्यों कर चल रहे हैं
ReplyDeleteबस इसे ही देख कर वे जल रहे हैं
लोग खुद तो कुछ नहीं करते यहाँ
हम अगरचे कर रहे तो खल रहे हैं ..seedhi see baat na mirch masala..dil ka haal kahe dilwala...bahut hee umda prastuti..sadar badhayee..meri ghazal bhee aapke margdarshan ka intezaar kar rahi hai...samay mile to aayiyega
सुन्दर ग़ज़ल भईया...
ReplyDeleteसादर प्रणाम.
sabhi mitro ka dil se aabhar.....
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