''सद्भावना दर्पण'

दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरस्कृत ''सद्भावना दर्पण भारत की लोकप्रिय अनुवाद-पत्रिका है. इसमें भारत एवं विश्व की भाषाओँ एवं बोलियों में भी लिखे जा रहे उत्कृष्ट साहित्य का हिंदी अनुवाद प्रकाशित होता है.गिरीश पंकज के सम्पादन में पिछले 20 वर्षों से प्रकाशित ''सद्भावना दर्पण'' पढ़ने के लिये अनुवाद-साहित्य में रूचि रखने वाले साथी शुल्क भेज सकते है. .वार्षिक100 रूपए, द्वैवार्षिक- 200 रूपए. ड्राफ्ट या मनीआर्डर के जरिये ही शुल्क भेजें. संपर्क- 28 fst floor, ekatm parisar, rajbandha maidan रायपुर-४९२००१ (छत्तीसगढ़)
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दिल का क्या कब कौन सुहाए

>> Tuesday, May 22, 2012

आज कोल्हापुर के लिए निकलना है. २५-२६ को वहां विश्वविद्यालय में महान साहित्यकार विष्णु प्रभाकर जी की जन्मशती पर दो दिवसीय संगोष्ठी है. मुझे शुभारम्भ का सौभाग्य मिला है. अब सप्ताह भर की छुट्टी. मिलते हैं ब्रेक के बाद. तब तक यह कविता मित्रों को समर्पित -
दिल का क्या कब कौन सुहाए
बात यही कुछ समझ न आए
सुबह सुहानी खूब सुहाए 
उजियाला भीतर बस जाए
हर दिन हो सबका ही सुन्दर 
 दर्द किसी को नहीं सताए
सब लगते हैं समझदार अब
किसको जा कर को समझाए
सब के सब उस्ताद लगे हैं 
 ज्ञान कोई अब पचा न पाए
रहो मौन यह सबसे उत्तम 
 जाए दुनिया जहां भी जाए
अपने बन कर दगा करे हैं 
 इन लोगों से राम बचाए
उसको अब पहचान लिया है 
 फिर भी देखा तो मुस्काए

17 टिप्पणियाँ:

Yashwant R. B. Mathur May 22, 2012 at 6:27 AM  

सब लगते हैं समझदार अब
किसको जा कर को समझाए
सब के सब उस्ताद लगे हैं
ज्ञान कोई अब पचा न पाए

बहुत सटीक लिखे हैं सर!


सादर

yashoda Agrawal May 22, 2012 at 6:37 AM  

भैय्या गिरीश जी को अब तक
जितना भी समझ सकी समझी
पर अपनी समझ से बाहर
समझने का क्षमता...
मैं अपने आप में नहीं पाती
सादर

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया May 22, 2012 at 7:43 AM  

अपने बन कर दगा करे हैं
इन लोगों से राम बचाए
उसको अब पहचान लिया है
फिर भी देखा तो मुस्काए

वाह ,,,, बहुत अच्छी सटीक प्रस्तुति,,,,

RECENT POST काव्यान्जलि ...: किताबें,कुछ कहना चाहती है,....

परमजीत सिहँ बाली May 22, 2012 at 11:01 AM  

bahut baDhiyaa!!

शिवम् मिश्रा May 22, 2012 at 11:11 AM  

वाह बहुत खूब ... शुभकामनायें !


इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - ब्लॉग बुलेटिन की राय माने और इस मौसम में रखें खास ख्याल बच्चो का

नीरज गोस्वामी May 22, 2012 at 11:06 PM  

हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं...

नीरज

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ May 22, 2012 at 11:52 PM  

क्या बात है!!

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ May 22, 2012 at 11:52 PM  
This comment has been removed by the author.
Anju (Anu) Chaudhary May 23, 2012 at 12:39 AM  

इस वक्त मौन धारणा ही सबसे सरल उपाय हैं ...

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" May 23, 2012 at 4:25 AM  

सब लगते हैं समझदार अब
किसको जा कर को समझाए
सब के सब उस्ताद लगे हैं
ज्ञान कोई अब पचा न पाए...bahut hee shandaar baat hahi hai aapne..sadar badhayee aaur sadar amantran ke sath

दीपिका रानी May 23, 2012 at 9:42 PM  

सरल शब्दों में जीवन का निचोड़.. अति सुंदर

संगीता स्वरुप ( गीत ) May 23, 2012 at 10:47 PM  

सब के सब उस्ताद लगे हैं
ज्ञान कोई अब पचा न पाए
रहो मौन यह सबसे उत्तम
जाए दुनिया जहां भी जाए

बिलकुल सही कहा है .... अच्छी प्रस्तुति

मेरा मन पंछी सा May 23, 2012 at 11:27 PM  

सुन्दर प्रस्तुति...
सुन्दर रचना:-)

Rajesh Kumari May 24, 2012 at 12:09 AM  

अपने बन कर दगा करे हैं
इन लोगों से राम बचाए
उसको अब पहचान लिया है
फिर भी देखा तो मुस्काए
इस दुनिया में कई बार मुखोटा लगा कर जीना पड़ता है ...मस्तिष्क कहता है कह डालो दिल कहता है चलो छोडो
बहुत उम्दा प्रस्तुति

Satish Saxena May 24, 2012 at 4:19 AM  

और करें भी तो क्या......
आभार भाई जी !

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') June 5, 2012 at 4:19 AM  

सब के सब उस्ताद लगे हैं
ज्ञान कोई अब पचा न पाए...

बहुत ही सुन्दर... वाह! भईया शानदार अशार हैं...
सादर प्रणाम.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') July 13, 2012 at 6:19 AM  

हर दिन हो सबका ही सुन्दर
दर्द किसी को नहीं सताए....

बहुत सुन्दर शेर... सभी अशार शानदार...
सादर.

सुनिए गिरीश पंकज को

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