''सद्भावना दर्पण'

दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरस्कृत ''सद्भावना दर्पण भारत की लोकप्रिय अनुवाद-पत्रिका है. इसमें भारत एवं विश्व की भाषाओँ एवं बोलियों में भी लिखे जा रहे उत्कृष्ट साहित्य का हिंदी अनुवाद प्रकाशित होता है.गिरीश पंकज के सम्पादन में पिछले 20 वर्षों से प्रकाशित ''सद्भावना दर्पण'' पढ़ने के लिये अनुवाद-साहित्य में रूचि रखने वाले साथी शुल्क भेज सकते है. .वार्षिक100 रूपए, द्वैवार्षिक- 200 रूपए. ड्राफ्ट या मनीआर्डर के जरिये ही शुल्क भेजें. संपर्क- 28 fst floor, ekatm parisar, rajbandha maidan रायपुर-४९२००१ (छत्तीसगढ़)
&COPY गिरीश पंकज संपादक सदभावना दर्पण. Powered by Blogger.

जीवन का श्रृंगार बेटियाँ / निर्मल जल की धार बेटियाँ .....

>> Thursday, June 7, 2012

पेश है बेटियों  पर   एक  लम्बी  रहना .

जीवन का श्रृंगार  बेटियाँ
निर्मल जल  की धार बेटियाँ 

देखो तो  दिल खुश हो जाए 
लगे रोज़ त्यौहार बेटियाँ 

प्यार से इनको सदा संवारो 

कभी न होती भार बेटियाँ  

घर है इक उद्यान सरीखा

 और फूलों का हार बेटियाँ

लक्ष्य रखे जो ऊँचे हरदम

कभी न मानें हार बेटियाँ 

आज हौसले औ हिम्मत को

 देती हैं विस्तार बेटियाँ 

हमको सावधान रहना है

 बने नहीं बाज़ार बेटियाँ 

ये भी आगे तक जाएँगीं

 है इसकी हक़दार बेटियाँ 

सूरज, चन्दा, तारों जैसी

 बाँट रही उजियार बेटियाँ 

अंतरिक्ष तक हो कर आयीं

 बार-बार तैयार बेटियाँ 

लक्ष्मी है, पर वक्त  पड़े तो

काली का अवतार बेटियाँ

14 टिप्पणियाँ:

Anonymous June 7, 2012 at 7:47 AM  

वाह वाह! बहुत सुन्दर रचना है।

shikha varshney June 7, 2012 at 7:54 AM  

वाह ..
इनपर सौ सौ जान कुर्बान, जान से प्यारी ये बेटियाँ.

Kailash Sharma June 7, 2012 at 8:13 AM  

बहुत खूब ! बहुत प्यारी और सटीक अभिव्यक्ति...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया June 7, 2012 at 12:45 PM  

लक्ष्मी है, पर वक्त पड़े तो
काली का अवतार बेटियाँ,,,,

मन मोहक आवाज में सुंदर अभिव्यक्ति ,,,,,
पोस्ट पर आइये स्वागत है,,,

WELCOME TO MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,

RATAN DEEP June 7, 2012 at 9:19 PM  

Betiyan vaastav mein bahut pyaari aur kabhi kabhi beton se zyaada zimmedaar hoti hain.

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" June 8, 2012 at 3:52 AM  

hamari shaan hai hamari aan hain
inpar hame fakra hai,ye apna abhiman hain...bahut hee acchi rachna..sadar badhayee aaur sadar amantran ke sath

देवेन्द्र पाण्डेय June 17, 2012 at 5:11 AM  

जय हो..

ANULATA RAJ NAIR June 19, 2012 at 4:54 AM  

सच कहा.............
हम बेटियां हैं ही ऐसी....
:-)

सादर

PRAN SHARMA June 25, 2012 at 4:46 AM  

BETIYON PAR AAPKEE GAZAL DIL KO
CHHOO GAYEE HAI . BADHAAEE AAPKO .

Lalit Mishra June 27, 2012 at 6:07 AM  

बेटियों पर सुन्दर रचना गिरीश भईया...
सादर बधाई

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') July 13, 2012 at 6:17 AM  

वाह! आदरणीय गिरीश भईया... सुन्दर प्यारी सी रचना... और आज तो यही कि...
"जग हैवान बना बैठा है,
कितनी हैं लाचार बेटियाँ."

सादर.

कालीपद "प्रसाद" April 24, 2014 at 5:21 PM  

बहुत सुन्दर रचना !

Anonymous April 25, 2014 at 1:41 AM  

अतिसुन्दर प्रस्तुति..

Anju (Anu) Chaudhary April 25, 2014 at 6:44 AM  

बेहद खूबसूरत रचना

सुनिए गिरीश पंकज को

  © Free Blogger Templates Skyblue by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP