>> Thursday, July 12, 2012
ऐसा हुआ वैसा हुआ है / जो हुआ अच्छा हुआ है
हो गया खुदगर्ज़ कितना / आदमी कैसा हुआ है
हो गया खुदगर्ज़ कितना / आदमी कैसा हुआ है
व्यंग्यकार की कविताई और व्यंग्यादि
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4 टिप्पणियाँ:
लग रहा कितना भला वो / गैर था, अपना हुआ है
ज़िंदगी है इक परीक्षा / ठीक क्या पर्चा हुआ है
गहन भाव लिये बेहतरीन प्रस्तुति।
बहुत खूब..
सड रहा पानी अरे तुम / देख लो ठहरा हुआ है....
बहतु बढ़िया आदरणीय बड़े भईया....
सादर प्रणाम....
lajabab rachna..
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