ऐसा हुआ वैसा हुआ है / जो हुआ अच्छा हुआ है
हो गया खुदगर्ज़ कितना / आदमी कैसा हुआ है
वो अँधेरे से लड़ेगा / दीप इक जलता हुआ है
लक्ष्य तक पहुंचेगा इक दिन / आदमी चलता हुआ है
लग रहा कितना भला वो / गैर था, अपना हुआ है
ज़िंदगी है इक परीक्षा / ठीक क्या पर्चा हुआ है
वो सफल हो जायेगा जो / स्वप्न कुछ बुनता हुआ है
क्या पता कैसा दिखेगा / घर अभी बनता हुआ है
वो सही लेखक मगर क्यूं / सब कहें बहका हुआ है
सड रहा पानी अरे तुम / देख लो ठहरा हुआ है
लग रहा कितना भला वो / गैर था, अपना हुआ है
ReplyDeleteज़िंदगी है इक परीक्षा / ठीक क्या पर्चा हुआ है
गहन भाव लिये बेहतरीन प्रस्तुति।
बहुत खूब..
ReplyDeleteसड रहा पानी अरे तुम / देख लो ठहरा हुआ है....
ReplyDeleteबहतु बढ़िया आदरणीय बड़े भईया....
सादर प्रणाम....
lajabab rachna..
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