''सद्भावना दर्पण'

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गूंजे मैया की जय कार...

>> Tuesday, October 16, 2012

एक भक्तिगीत/ सर्वधर्म सद्भाव वाला व्यक्ति हूँ. लोगो के कहने पर ईश्वर के लिए भक्ति-गीत लिखे, तो अल्लाह की इबादत के लिए भी लिखने में आगे रहा. फिलहाल आज नवरात्रि के अवसर पर माता के भक्तों के लिए मेरे ये भाव-सुमन अर्पित है...
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गूंजे मैया की जयकार...बार-बार अरे बारम्बार...
माता है सबकी कल्याणी, ये तो शक्ति का भण्डार.

गूंजे मैया की जय कार........
नव दुर्गा का रूप मनोहर. 
कौन है मैया तेरे ऊपर.
तू सबकी है भाग्य विधाता , 
तू शक्ति है, तू है माता.
'शैलपुत्री' बन करे ये आयी, 
'ब्रह्मचारिणी' रूप दिखाई.
'चंद्रघंटा' भी नाम है तेरा,
 'कुसमुंडा' भी माँ कहलाई.
सच्चे दिल से पूजा हो तो, 
माँ करती स्वीकार ...
गूंजे मैया की जय कार...

'स्कंधमाता', 'कात्यायनी' भी, है ये तेरे नाम,
'कालरात्रि' औ 'महागौरी' को कोटि-कोटि परनाम.
''सिद्धरात्री' माता कर तू, 
भक्तों का उद्धार...
गूंजे मैया की जय कार...
बार-बार अरे बारम्बार..

4 टिप्पणियाँ:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया October 16, 2012 at 8:27 AM  

गूंजे मैया की जयकार...बार-बार अरे बारम्बार...
माता है सबकी कल्याणी,ये तो शक्ति का भण्डार.,,,,

बहुत खूबशूरत लाजबाब भक्तिगीत,,पंकजजी,बधाई,,,,

नवरात्रि की शुभकामनाएं,,,,

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संगीता स्वरुप ( गीत ) October 16, 2012 at 10:29 PM  

बहुत सुंदर .... नवरात्रि की शुभकामनायें

विभूति" October 17, 2012 at 7:22 AM  

नवरात्रि की शुभकामनायें....

Anonymous October 20, 2012 at 10:34 AM  

नवरात्रि कि हार्दिक शुभकामनाएँ आपको भी!!!!!!!

सुनिए गिरीश पंकज को

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