Thursday, April 4, 2013

एक प्रार्थना / ज़िंदगी सुन्दर रहे

एक प्रार्थना
---------------
ज़िंदगी सुन्दर रहे
नित्य ही बेहतर रहे


प्यार ही बस प्यार हो
वह कोई भी दर रहे 


देखती है आत्मा
बस यही इक डर रहे


सामने आकाश है
हौसलों का 'पर' रहे


बस प्रभू के सामने
अपना झुका ये सर रहे


हर किसी के वास्ते ही
दोस्तो, अवसर रहे 


हो अँधेरा किन्तु भीतर
रौशनी का घर रहे 


दिल दुखाना क्यों, कोई
आंसुओं से तर  रहे

5 comments:

  1. वाह! बहुत खूब लिखा गिरीश जी...

    ReplyDelete
  2. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (6-4-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

    ReplyDelete
  3. आदरणीय गिरिजेश जी लाजबाब प्रस्तुति बहुत सुन्दर मन के भाव आपको बधाई

    ReplyDelete