एक प्रार्थना / ज़िंदगी सुन्दर रहे
>> Thursday, April 4, 2013
एक प्रार्थना
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ज़िंदगी सुन्दर रहे
नित्य ही बेहतर रहे
प्यार ही बस प्यार हो
वह कोई भी दर रहे
देखती है आत्मा
बस यही इक डर रहे
सामने आकाश है
हौसलों का 'पर' रहे
बस प्रभू के सामने
अपना झुका ये सर रहे
हर किसी के वास्ते ही
दोस्तो, अवसर रहे
हो अँधेरा किन्तु भीतर
रौशनी का घर रहे
दिल दुखाना क्यों, कोई
आंसुओं से तर रहे
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ज़िंदगी सुन्दर रहे
नित्य ही बेहतर रहे
प्यार ही बस प्यार हो
वह कोई भी दर रहे
देखती है आत्मा
बस यही इक डर रहे
सामने आकाश है
हौसलों का 'पर' रहे
बस प्रभू के सामने
अपना झुका ये सर रहे
हर किसी के वास्ते ही
दोस्तो, अवसर रहे
हो अँधेरा किन्तु भीतर
रौशनी का घर रहे
दिल दुखाना क्यों, कोई
आंसुओं से तर रहे
5 टिप्पणियाँ:
वाह! बहुत खूब लिखा गिरीश जी...
वाह ,,, बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,पंकज जी
Recent post : होली की हुडदंग कमेंट्स के संग
अति सुंदर!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (6-4-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
सूचनार्थ!
आदरणीय गिरिजेश जी लाजबाब प्रस्तुति बहुत सुन्दर मन के भाव आपको बधाई
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