''सद्भावना दर्पण'

दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरस्कृत ''सद्भावना दर्पण भारत की लोकप्रिय अनुवाद-पत्रिका है. इसमें भारत एवं विश्व की भाषाओँ एवं बोलियों में भी लिखे जा रहे उत्कृष्ट साहित्य का हिंदी अनुवाद प्रकाशित होता है.गिरीश पंकज के सम्पादन में पिछले 20 वर्षों से प्रकाशित ''सद्भावना दर्पण'' पढ़ने के लिये अनुवाद-साहित्य में रूचि रखने वाले साथी शुल्क भेज सकते है. .वार्षिक100 रूपए, द्वैवार्षिक- 200 रूपए. ड्राफ्ट या मनीआर्डर के जरिये ही शुल्क भेजें. संपर्क- 28 fst floor, ekatm parisar, rajbandha maidan रायपुर-४९२००१ (छत्तीसगढ़)
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माँ दुर्गा का रूप तुही है, उसके जैसा ही बन बेटी

>> Sunday, September 22, 2013

 
तू माथे का चन्दन बेटी
है तेरा अभिनन्दन बेटी

तुझसे हमको जीवन मिलता
घर भर का स्पंदन बेटी

सारे ग्रंथों में देखा है
सब करते हैं वंदन बेटी

है आशीष ज़माने भर का
कभी करे ना क्रंदन बेटी

अगर लगे वो पाप सरीखा
तोड़ दे तू हर बंधन बेटी

जहां भी जाये खुशबू फैले
जैसे वन हो नंदन बेटी

स्वाभिमान के लिए लड़े वो
इज्ज़त ही असली धन बेटी

बेटे तो खुदगर्ज़ मिले पर
करती है बस अरपन बेटी

माँ दुर्गा का रूप तुही है
उसके जैसा ही बन बेटी

11 टिप्पणियाँ:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया September 22, 2013 at 7:11 AM  

स्वाभिमान के लिए लड़े वो
इज्ज़त ही असली धन बेटी

बेटे तो खुदगर्ज़ मिले पर
करती है बस अरपन बेटी,,,

वाह !!! बहुत खूब,सुंदर रचना !आभार

RECENT POST : हल निकलेगा

Darshan jangra September 22, 2013 at 7:28 AM  

बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - सोमवार - 23/09/2013 को
जंगली बेल सी बढती है बेटियां , - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः22 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma September 22, 2013 at 8:50 AM  

उम्दा पोस्ट

कालीपद "प्रसाद" September 22, 2013 at 10:02 AM  

स्वाभिमान के लिए लड़े वो
इज्ज़त ही असली धन बेटी
बेहतरीन रचना !
Latest post हे निराकार!
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Parul Chandra September 22, 2013 at 10:40 AM  

माँ दुर्गा का रूप तुही है
उसके जैसा ही बन बेटी...

आजकल बेटियों को इसी हौसले की ज़़रूरत है.. प्रेरक पंक्तियां ।

Shah Nawaz September 22, 2013 at 6:46 PM  

बिलकुल सही कहा, वक़्त की ज़रूरत है यह।

Unknown September 23, 2013 at 7:12 AM  

दमदार एवं सार्थक प्रस्तुति । सही बातें कही आपने ।

मेरी नई रचना :- चलो अवध का धाम

girish pankaj September 25, 2013 at 5:03 AM  

सभी मित्रो का आभार . मैं भी आप तक पहुंचूंगा

HARSHVARDHAN September 29, 2013 at 9:44 AM  

सुन्दर रचना।।

नई कड़ियाँ : सदाबहार अभिनेता देव आनंद

HARSHVARDHAN September 29, 2013 at 9:44 AM  

सुन्दर रचना।।

नई कड़ियाँ : सदाबहार अभिनेता देव आनंद

Asha Joglekar September 30, 2013 at 9:38 AM  

पुत्री, बहन औ माँ तू बेटी
जान ले तू नारी है बेटी।
अबला नही सबला बन बेटी
कत्रीना नही दुर्गा बन बेटी।

सुनिए गिरीश पंकज को

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