Monday, November 10, 2014

अंतहीन आकाश हमारा और पंख ही पास नहीं



अंतहीन आकाश हमारा और पंख ही पास नहीं
लक्ष्य काम का अच्छा है पर होगा कुछ भी खास नही

साथ हमारे आएं जिनको पथरीले-पथ प्यारे हैं
जिनको सुविधाये भाती हैं उनकी हमें तलाश नहीं

उसको कब मिल सकी सफलता 'किन्तु-लेकिन' में अटका
उस पर कैसे यकी करें जिसको खुद पे विशवास नहीं

आसमान से तारे ले कर आने वाले देख लिए
उनको अपनी ताकत का ही रत्ती भर अहसास नहीं

बहुत अधिक पाने की खातिर क्यों गिरना ईमान से
सच बोले तो अपने भीतर ऐसी कोई प्यास नहीं

जिसने वक्त गंवाया कोई ठोस काम न कर पाया
जीते हैं वे पशु सरीखे उनका कुछ इतिहास नहीं

वक्त बड़ी तेजी से 'पंकज' भाग रहा है देखो तो
बात करो कुछ ठोस चलेगी अब कोई बकवास नहीं

2 comments:

  1. बहुत अधिक पाने की खातिर क्यों गिरना ईमान से
    सच बोले तो अपने भीतर ऐसी कोई प्यास नहीं

    बेमिसाल शेर और शानदार ग़ज़ल।

    शुभकामनाएं !

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  2. बहुत ख़ूब!!

    इतनी प्रेरक गज़ल आपकी, सीख सबों को देती है,
    जीवन में भर लें हम इनको, ऐसी कोई उजास नहीं!

    शुभकामनाएँ!!

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