इस अराजक दौर में विश्वास हैं बच्चे
आस्थाओं के विमल आकाश हैं बच्चे
हम तो बुझते दीप हैं इस रात के यारो
आएगी जो भोर उसकी आस हैं बच्चे
देवता किस लोक में रहते नहीं मालूम
देवता हैं इनमे ये अहसास हैं बच्चे
आचरण के निर्वसन होने से पहले तुम
भूल मत जाना तुम्हारे पास हैं बच्चे
आज फिर लौटे हैं खाली हाथ क्यूँ पापा
आज है त्यौहार और उदास हैं बच्चे
आज फिर लौटे हैं खाली हाथ क्यूँ पापा
ReplyDeleteआज है त्यौहार और उदास हैं बच्चे
..आस हर बच्चें को रहती है .... लेकिन सबकी किस्मत एक सी नहीं .....बाल दिवस पर सार्थक प्रस्तुति
बहुत सुन्दर!! दिल को छूती हुई रचना!!
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