विश्वास हैं बच्चे
>> Friday, November 14, 2014
इस अराजक दौर में विश्वास हैं बच्चे
आस्थाओं के विमल आकाश हैं बच्चे
हम तो बुझते दीप हैं इस रात के यारो
आएगी जो भोर उसकी आस हैं बच्चे
देवता किस लोक में रहते नहीं मालूम
देवता हैं इनमे ये अहसास हैं बच्चे
आचरण के निर्वसन होने से पहले तुम
भूल मत जाना तुम्हारे पास हैं बच्चे
आज फिर लौटे हैं खाली हाथ क्यूँ पापा
आज है त्यौहार और उदास हैं बच्चे
2 टिप्पणियाँ:
आज फिर लौटे हैं खाली हाथ क्यूँ पापा
आज है त्यौहार और उदास हैं बच्चे
..आस हर बच्चें को रहती है .... लेकिन सबकी किस्मत एक सी नहीं .....बाल दिवस पर सार्थक प्रस्तुति
बहुत सुन्दर!! दिल को छूती हुई रचना!!
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