''सद्भावना दर्पण'

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अब तो ''समाजवादी'' बग्घी पे आ रहा है

>> Saturday, November 22, 2014

'लोहिया' तेरे मिशन को ये कौन खा रहा है
अब तो ''समाजवादी'' बग्घी पे आ रहा है

लूटो गरीब को पर बातें गरीब की हों
ये मुल्क पूंजी-पूंजी अब खुल के गा रहा है.

जो लोग थे 'मुलायम' दिखते 'कठोर' कैसे
'आजम' का आज 'जाजम' अब इनको भा रहा है

सारे विचार अच्छे बेकार हो गए हैं
ये दौर देखिये अब क्या दिन दिखा रहा है

सच्चे समाजवादी बेकार हो गए हैं
नकली है माल जितना वो उतना छा रहा है

2 टिप्पणियाँ:

कविता रावत November 23, 2014 at 12:24 AM  

सच्चे समाजवादी बेकार हो गए हैं
नकली है माल जितना वो उतना छा रहा है

चला बिहारी ब्लॉगर बनने November 24, 2014 at 4:50 AM  

हे रामचन्द्र कह गये सिया से ऐसा कलजुग आएगा,
हंस चुगेगा दाना-दुनका, कौवा मोती खाएगा!
/
बस आ गया वो कलजुग!

सुनिए गिरीश पंकज को

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