Friday, November 28, 2014

जिसको मुस्काना आता है

जिसको मुस्काना आता है
उससे दुःख भी घबराता है

बचना निंदारस से प्यारे
जहर एक दिन बन जाता है

सबको दिल से दुआ दीजिये
जीवन अमृत कहलाता है

जाने कब ये सांस थमेगी
मन क्यों समझ नहीं पाता है

जो अंधियारे से लड़ता है
वो इक दीपक कहलाता है

कौन बचा है इस दुनिया में
दुख-सुख से सबका नाता है

जिसने जब चलने की ठानी
पथ ही रस्ता दिखलाता है

नहीं मिला जो भूल उसे तू
'पंकज' मन को समझाता है

2 comments:

  1. जिसने जब चलने की ठानी
    पथ ही रस्ता दिखलाता है
    नहीं मिला जो भूल उसे तू
    'पंकज' मन को समझाता है
    ..बहुत सही ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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