''सद्भावना दर्पण'

दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरस्कृत ''सद्भावना दर्पण भारत की लोकप्रिय अनुवाद-पत्रिका है. इसमें भारत एवं विश्व की भाषाओँ एवं बोलियों में भी लिखे जा रहे उत्कृष्ट साहित्य का हिंदी अनुवाद प्रकाशित होता है.गिरीश पंकज के सम्पादन में पिछले 20 वर्षों से प्रकाशित ''सद्भावना दर्पण'' पढ़ने के लिये अनुवाद-साहित्य में रूचि रखने वाले साथी शुल्क भेज सकते है. .वार्षिक100 रूपए, द्वैवार्षिक- 200 रूपए. ड्राफ्ट या मनीआर्डर के जरिये ही शुल्क भेजें. संपर्क- 28 fst floor, ekatm parisar, rajbandha maidan रायपुर-४९२००१ (छत्तीसगढ़)
&COPY गिरीश पंकज संपादक सदभावना दर्पण. Powered by Blogger.

विश्व गौरैया दिवस/ प्यारी गौरैया को समर्पित एक कविता

>> Thursday, March 19, 2015


आँगन में तू आ गौरैया
फिर से गाना गा गौरैया

आ ना, तेरे लिये  रखा है 
पानी औ दाना गौरैया

बिन तेरे जीवन ये कैसा 
सबको ये समझा गौरैया

तुझे मार कर खा जाते हैं 
फौरन ही छिप जा गौरैया

तुझसे भी सब प्यार करेंगे 
वही दौर तू ला गौरैया

हमसे दूर नहीं जाना तू 
ना  रे, ना,  ना-ना गौरैया

2 टिप्पणियाँ:

Satish Saxena March 26, 2015 at 6:11 AM  

बहुत खूब
मंगलकामनाएं आपको !

Ahir March 31, 2015 at 12:53 PM  

Nice Article sir, Keep Going on... I am really impressed by read this. Thanks for sharing with us. Latest Government Jobs.

सुनिए गिरीश पंकज को

  © Free Blogger Templates Skyblue by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP