''सद्भावना दर्पण'

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ईश्व्व ही रो रहा है ?

>> Friday, April 3, 2015


केन्या में कुछ पागलो ने
धर्म पूछ-पूछ कर मार दिए 147 छात्र
कुछ महीने पहले ऐसे ही पागलो ने
स्कूली बच्चो को उतारा था मौत के घाट.
ये कौन लोग हैं ? ये किसकी करते हैं इबादत?
कौन है इनका ऊपरवाला ?
वो कहता है क्या कि
जाओ, कुछ लाशे ले कर आओ
बच्चो की ....बड़ो की,...औरतो की....
क्या ऊपर वाला खुश होता है देख कर लाशे?
अगर सच में ऐसा है तो
उस ऊपर वाले की घोर निंदा करता हूँ
मगर जानता हूँ
करुणा से भरा है ऊपर वाला
नादान बन्दों की नापाक हरकते देख कर
रोता होगा जार-जार
कि मैंने मनुष्य बनाये थे,
ये कैसे हैवान बन गए.
वह डांटता होगा अपने सहयोगियों को
कि देखो, इस बार ठीक से रचना मनुष्य
धरती पर बढ़ते जा रहे हैं शैतान
ख़त्म हो रही है मानवता.
इस वक्त पूरे ब्रह्माण्ड में अगर
कोई उदास है तो वो है ईश्वर
बेचारा
बता भी नहीं सकता अपने आंसू
लोग क्या सोचेंगे कि
ये क्या हो रहा है?
ईश्व्व ही रो रहा है ?

1 टिप्पणियाँ:

कविता रावत April 3, 2015 at 11:05 PM  

मार्मिक रचना ...
इंसान के भेष में भेड़िये होते है ऐसे लोग ....

सुनिए गिरीश पंकज को

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