''सद्भावना दर्पण'

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करवा चौथ के पावन-पर्व पर

>> Thursday, October 29, 2015

करवा चौथ के पावन-पर्व पर संस्कृति का सम्मान करने 
वाली दुनिया की समस्त स्त्रियों को समर्पित 

त्याग है नारी, प्यार है नारी 
ईश्वर का उपहार है नारी 


पार लगाती जो दुनिया को
वो अद्भुत पतवार है नारी 

देह नहीं है ये नादानो
हम सब पे उपकार है नारी 

सबका दुःख बन जाता उसका
एक महा किरदार है नारी
 
बिन इसके घर भूत का डेरा
घर के गले का हार है नारी
 
मुक्ति जहां से हो कर मिलती
वो इक पावन द्वार है नारी

इस पर अत्याचार न करना
देवी का अवतार है नारी

बिगड़ी सदा बनाने वाली
जादू का संसार है नारी
 
लगे फूल -सी कोमल है पर
वक्त पड़े तलवार है नारी

उसे हराना मुश्किल है पर
खुद ही जाती हार है नारी

एक पंक्ति में बोलूं तो फिर
धरती का श्रृंगार है नारी

तेरे कारण दुनिया सुन्दर
बार-बार आभार है नारी
 
पुरुष सदा पत्थर है 'पंकज'
पर निर्मल जलधार है नारी

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