''सद्भावना दर्पण'

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अंबेडकर चालीसा

>> Wednesday, April 13, 2016

अंबेडकर चालीसा

।। दोहा ।।
अठारह सौ इक्यानवे, वर्ष हो गया धन्य।
दिन चौदह अप्रैल को, जन्मा लाल अनन्य।।
'बाबा साहब' नाम था, दलितों का भगवान।
जिनके चिंतन से बना, भारत देश महान।।

।। चौपाई ।।
महू की धरती धन्य कहाई, हर्षित हो गई 'भीमाबाई' । 1
घर में आया लाल मनोहर, बना बाद में विश्व धरोहर। 2
पिता 'रामजी' थे हर्षाए, बेटा यह इतिहास बनाए। 3
खूब पढ़ाया और लिखाया, बेटे ने भी नाम कमाया। 4
थे कबीरपंथी और ज्ञानी, सोच पिता की थी कल्यानी। 5
माँ का सुख ना बेटा पाया, लुप्त हो गया माँ का साया। 6
चाची ने तब उसे संभाला, और पिता ने देखा-भाला। 7
पी कर के अपमान जहर को, भीमा निकला नई डगर को। 8
।। दोहा ।।
लगन और मेहनत रही, बन गए वे नवबुद्ध।
जड़मति को करते रहे, 'भीमा' प्रतिपल शुद्ध।।
बने 'विधि' के डॉक्टर, बढ़े सदा अविराम।
इक भिक्खू ने दे दिया, 'बोधिसत्व'  का नाम।।
।। चौपाई ।।
पढऩे जब शाला तक आए, भीमा एकाकी रह जाए। 9 
कक्षा के बाहर रहना था, वहीं से बस अध्ययन करना था। 10
दिन भर वो प्यासा रह जाता, चपरासी भी पास न आता। 11
क्या 'महार' इंसान नहीं है, ईश्वर की संतान नहीं है? 12
कैसा चातुर्वर्ण यहाँ है, भीम कहे भगवान कहाँ है? 13
हिंदू धरम का कैसा चक्कर, दलितों को मारे है ठोकर। 14
मैं दलितों के लिए लड़ूँगा, उनकी खातिर खूब पढ़ूँगा। 15
ले कर नवसंकल्प बढ़ गए, बाबा साहब शिखर चढ़ गए। 16
।। दोहा।।
मूकजनों के देव बन, किया दलित कल्यान।
वंचितजन को तब मिला, वो खोया सम्मान।।
दर्शन, चिंतन ने सदा, दिखलाई नव राह
संपादक, लेखक बड़े, परिवर्तन की चाह।।
।। चौपाई ।।
पढ़कर के कॉलेज तक आए, तब समाज के जन हर्षाए। 17
पहला दलित यहाँ तक आया, भीमा ने इतिहास बनाया। 18
गए विदेश, लगन से पढ़ कर, बनकर लौटे वे बैरिस्टर। 19 
छुआछूत में देश अड़ा था, मानवता का दर्द बड़ा था। 20
बोधिसत्व ने हार न मानी, दलितों की ताकत पहचानी। 21 
मानव मानव एक समाना, यह चिंतन था मन में ठाना। 22
मनुस्मति में आग लगाई, चतुर्वर्ण की हँसी उड़ाई। 23
मंदिर में परवेश कराया, दलितों को प्रभु तक पहुँचाया। 24

।। दोहा।।
पूरी दुनिया को दिया, समता का पैगाम।
बाबा साहेब ने किया, कितना अद्भुत काम।।
संविधान रच कर गढ़ा, नूतन हिंदुस्तान।
भीमा दुखियों के बने, सचमुच कृपानिधान।।

।। चौपाई ।।
देख विषमताओं की खाई, बाबा ने तरकीब बनाई। 25 
अलग रहे 'निर्वाचन सूची', दलितों की पहचान समूची। 26
गाँधी अनशन पर जा बैठे, देश न बँट पाए यह ऐसे। 27 
गाँधीजी की जान बचाने, बाबासाहब कहना माने। 28  
मगर कहा-लेंगे आरक्षण, दलितों को दे दो संरक्षण। 29 
आरक्षण पे नहीं थी अनबन, गाँधी ने भी त्यागा अनशन। 30
भीमा थे मूकों के नायक,बन गए उनके भाग्यविधायक । 31
कहा-शोषितो आगे आओ, अपना रस्ता आप बनाओ। 32
।। दोहा।।
थामा इक दिन भीम ने, बौद्धधर्म का हाथ।
लाखों दलितों ने दिया, नवबुद्ध का साथ।।
बौद्ध धर्म ही नेक है, बाँटे सबको प्यार।
हर मानव पाता यहाँ, समता का अधिकार।।
।। चौपाई ।।
चौदह अक्टूबर सन् छप्पन, नागपूर में था सम्मेलन। 33
सबसे बाइस प्रण करवाया, और नया इक पथ दिखलाया। 34
'ईश्वर पे विश्वास न करना, अवतारों पे ध्यान न धरना। 35
बुद्ध ने हमको राह दिखाई, उस पर चल कर करें भलाई। 36
बोलो झूठ, न चोरी करना, काम-क्रोध से हरदम बचना। 37
नशा नाश कर देता जीवन, बुद्धधम्म ही सच्चा दर्शन। 38
गाँव छोड़ कर शहर में आओ, जीवन का आधार बनाओ।  39
पंचशील को अपनाएँगे, समरसता हम फैलाएँगे'। 40।
।। दोहा ।।
छह दिसंबर छप्पन को, छाया दुक्ख महान।
बाबा साहब ने किया, इस दिन महाप्रयान।।
दुनिया को दे कर गए, एक बड़ा 'नवयान'।
जब तक यह संसार है, अमर है तेरी शान।।
।। समाप्त।।


1 टिप्पणियाँ:

कविता रावत April 13, 2016 at 11:20 PM  

अठारह सौ इक्यानवे, वर्ष हो गया धन्य।
दिन चौदह अप्रैल को, जन्मा लाल अनन्य।।
'बाबा साहब' नाम था, दलितों का भगवान।
जिनके चिंतन से बना, भारत देश महान।।
...
जब तक यह संसार है, अमर है तेरी शान।।

बहुत सुन्दर श्रद्धांजलि बाबा साहब को ....
नमन !

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