Saturday, July 31, 2021

विश्व मैत्री दिवस पर ...



मित्र मुसीबत में सदा, होता खूब सहाय।
जब आये संकट कोई, बढ़कर हमें बचाय।।

सुख में रहते साथ पर, दुख में जाते भूल।
ऐसे भी कुछ मित्र हैं, केवल नकली फूल।।

स्वारथ के इस दौर में, बिल्कुल नहीं विचित्र ।
लोग उसे ही दे दगा, बनते जिसके मित्र।।

मित्र महकता इत्र-सा, कभी न छोड़े साथ।
पर जो नकली क्या पता, कब दे दे वह घात।।

मित्र बने और एक दिन,  माँगा बड़ा उधार ।
खोज रहे हम बाद में, अब वे कहीं फरार।।

@ गिरीश पंकज

12 comments:

  1. बेहतरीन दोहे ।

    हर दोहा सार्थक संदेश देता हुआ ।

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  2. आपकी लिखी रचना सोमवार 2 ,अगस्त 2021 को साझा की गई है ,
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  3. मित्र बने और एक दिन,
    माँगा बड़ा उधार ।
    खोज रहे हम बाद में,
    अब वे कहीं फरार।।
    व्वाहहहहह..
    सादर नमन

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  4. मित्र महकता इत्र-सा, कभी न छोड़े साथ।
    पर जो नकली क्या पता, कब दे दे वह घात।। बहुत सुंदर रचना...।

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  5. सत्य का दर्पण ... अत्यंत सुंदर दोहे।

    प्रणाम
    सादर।

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  6. बदलते वक़्त के साथ मित्र की परिभाषा भी बदल रही !! लेकिन असली मित्र अभी भी साथ निभाते हैं !! सुंदर दोहे !!

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  7. आजके छद्म मित्रों का सटीक चरित्र चित्रण आदरणीय पंकज जी। ये गति भुगतने वाले आसपास ही मिल जायेंगे

    मित्र बने और एक दिन, माँगा बड़ा उधार ।
    खोज रहे हम बाद में, अब वे कहीं फरार।।

    😀😀😀😀😀🙏🙏

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  8. बहुत सुंदर सार्थक दोहे।आज के दौर की मित्रता का सुंदर चित्रण।

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  9. वाह!!!
    लाजवाब दोहे।

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  10. मित्र एक पर रंग अनेक । बहुत ही सुन्दर कहा ।

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  11. मित्र की अन्य परिभाषा...
    दोस्त बनकर गले ललगाता है वही
    पीठ पर खंजर भी लगाता है वही जैसी!

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  12. सभी मित्रों का आभार

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