नई ग़ज़ल/ संघर्षों का नाम बेटियाँ
>> Friday, October 8, 2010
नवरात्र पर्व शुरू हो गया है. बहुत-से लोग नौ दिनों तक शक्ति की उपासना करेंगे, हमारे यहाँ लड़कियों को भी देवी का रूप माना गया है. दुर्गा, काली जैसी देवियाँ है. सरस्वती माँ जैसी ज्ञान की देवी है. गायत्री माँ है. अनेक देवियाँ है. ये सब भारत को भारत बनाती है. कुंवारी कन्याओं को देवी समझ कर पूजा भी जाता है. भोग लगाया जाता है. आज मै अपनी ग़ज़ल देवी की प्रतीक लड़कियों को समर्पित कर रहा हूँ. बेटियाँ .....इसके पहले भी मैंने एक-दो ग़ज़ले लड़कियों या बेटियों पर कही है. आज ''बेटियाँ'' शीर्षक से प्रस्तुत है कुछ शेर..देखे, शायद कुछ जम जाये.
संघर्षों का नाम बेटियाँ
ईश्वर का इनआम बेटियाँ
सबके लिये जलीं दीपक -सा
करें प्रभु का काम बेटियाँ
अपना भला-बुरा वो समझे
करे न उलटे काम बेटियाँ
करती हैं दुनिया को रौशन
ज़्यादातर तो आम बेटियाँ
सही राह पर चलती जातीं
करती ना आराम बेटियाँ
फूलों को मसलो मत देखो
महके सुबहोशाम बेटियाँ
बेटा-बेटी एक बराबर
देती हैं पैगाम बेटियाँ
ये अपने आँगन की तुलसी
कभी न हों बदनाम बेटियाँ
अगर ह्रदय निर्मल है तो फिर
जैसे चारों धाम बेटियाँ
चेहरा-मोहरा हो जैसा भी
दिल से हैं अभिराम बेटियाँ
(अभिराम- सुन्दर)
14 टिप्पणियाँ:
बहुत प्यारी रचना पंकज भाई , बिलकुल हमारी बेटियों जैसी ! हार्दिक शुभकामनायें
अगर ह्रदय निर्मल है तो फिर
जैसे चारों धाम बेटियाँ
बहुत खूब कहा है भईया । घरों की शान हैं बेटियाँ । गुणों की खान हैं बेटियाँ । भावना न्यारी हों तो भगवान हैं बेटियाँ । जिस खुश किस्मत के पास हैं , उनका संसार हैं बेटियाँ ।
ये अपने आँगन की तुलसी
कभी न हों बदनाम बेटियाँ
सुंदर अभिव्यक्ति , बधाई
अगर हृदय निर्मल है तो फिर
जैसे चारों धाम हैं बेटियां
निर्मल भावों से भरी हुईं
फूल-सी सुंदर सरस पंक्तियां।
प्रासंगिक और भावपूर्ण.
पंकज जी बहुत सुंदर लिखा आप ने, हमारे यहां भी बेटियो की पुजा होती हे, ओर हम उन के पांव धोते थे,
बहुत सुंदर रचना, आप सब को नवरात्रो की शुभकामनायें,
संघर्षों का नाम बेटियाँ
ईश्वर का इनआम बेटियाँ
-बिल्कुल सही और सटीक गज़ल!
सुनाउंगा यह गज़ल अपनी बेटी को,
हम लेते गौरव,पर होती समभाव बेटियां
-कही गहरे गौरवांवित कर गई गज़ल!!
यही तो बेटियों की महिमा है……………बेहद सुन्दर और उम्दा रचना दिल मे उतर गयी।
बेटियों पर इतनी बेहतरीन गज़ल मैने आज तक नही देखी ।
"फूलों सी यह रचना ऐसे
देती ज्यों आराम बेटियाँ."
भईया बेटियों की तरह ही नाजुक सी, मुलायम सी, प्यारी सी ग़ज़ल के लिए साधुवाद और प्रणाम.
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अगर ह्रदय निर्मल है तो फिर
जैसे चारों धाम बेटियाँ
चेहरा-मोहरा हो जैसा भी
दिल से हैं अभिराम बेटियाँ ...
A beautiful creation. It really made me emotional.
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बेटा-बेटी एक बराबर
देती हैं पैगाम बेटियाँ
बेटियों को समर्पित एक बेहतरीन ग़ज़ल.. आज के दौर में ऐसा कोई काम नही जो बेटियाँ ना कर सकें...बहुत भावपूर्ण रचना....सुंदर ग़ज़ल के लिए धन्यवाद...प्रणाम चाचा जी
पंकज जी बहुत सुंदर लिखा आप ने
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