१० सितम्बर विश्व आत्महत्या निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर कुछ शेर ..
जो हमें अंधा करे वो रौशनी अच्छी नहीं
हर मुसीबत से करेंगे हर घड़ी हम सामना
हों भले हालात जैसे खुदकशी अच्छी नहीं
हार कर के बाजियों को जीतना है ज़िंदगी
हार कर रोने लगें यह कमतरी अच्छी नहीं
हर किसी के भाग में होता नहीं है चन्द्रमा
क्या इसी इक बात से है चांदनी अच्छी नहीं
आज अपना है नहीं पर कल रहेगा दोस्तो
कुछ नहीं होगा कभी यह सोच ही अच्छी नहीं
जब तलक है ज़िंदगी इंसानियत के नाम हो
हम रहे खुदगर्ज़ तो ये ज़िंदगी अच्छी नहीं
मसखरी करते रहो पर बात यह भी जान लो
वक़्त के मारे हुओ से मसखरी अच्छी नहीं
जो हमें इंसानियत से जोड़ न पाए कभी
सच कहूँ पंकज कभी वो शायरी अच्छी नहीं
वाह वाह ...शुभकामनायें गिरीश भाई !
ReplyDeleteक्या बात है...बहुत सुन्दर
ReplyDeleteJO hamen insaaniyat se
ReplyDeletejod n paaye kabhee
sach kahoon pankaj kabhee
vo shaayree achchhe nahin
Bahut khoob , pankaj ji !
जो हमें इंसानियत से जोड़ न पाए कभी
ReplyDeleteसच कहूँ पंकज कभी वो शायरी अच्छी नहीं
बहुत सुन्दर...
हार कर के बाजियों को जीतना है ज़िंदगी
ReplyDeleteहार कर रोने लगें यह कमतरी अच्छी नहीं
हर किसी के भाग में होता नहीं है चन्द्रमा
क्या इसी इक बात से है चांदनी अच्छी नहीं
बहुत खूब...बहुत खूब....बहुत खूब....
हर मुसीबत से करेंगे हर घड़ी हम सामना
ReplyDeleteहों भले हालात जैसे खुदकशी अच्छी नहीं
बहुत खूब.
वाह वाह भईया...
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा अशआर... प्रेरक...
सादर प्रणाम...
हर किसी के भाग में होता नहीं है चन्द्रमा
ReplyDeleteक्या इसी इक बात से है चांदनी अच्छी नहीं
आज अपना है नहीं पर कल रहेगा दोस्तो
कुछ नहीं होगा कभी यह सोच ही अच्छी नहीं
वाह !!! बेहतरीन , बेजोड़ , बेमिसाल. जीने की राह दिखाती सारगर्भित गज़ल.
Girish jee आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
ReplyDeleteआप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए..
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