१० सितम्बर विश्व आत्महत्या निषेध दिवस पर ....
>> Friday, September 9, 2011
१० सितम्बर विश्व आत्महत्या निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर कुछ शेर ..
जो हमें अंधा करे वो रौशनी अच्छी नहीं
हर मुसीबत से करेंगे हर घड़ी हम सामना
हों भले हालात जैसे खुदकशी अच्छी नहीं
हार कर के बाजियों को जीतना है ज़िंदगी
हार कर रोने लगें यह कमतरी अच्छी नहीं
हर किसी के भाग में होता नहीं है चन्द्रमा
क्या इसी इक बात से है चांदनी अच्छी नहीं
आज अपना है नहीं पर कल रहेगा दोस्तो
कुछ नहीं होगा कभी यह सोच ही अच्छी नहीं
जब तलक है ज़िंदगी इंसानियत के नाम हो
हम रहे खुदगर्ज़ तो ये ज़िंदगी अच्छी नहीं
मसखरी करते रहो पर बात यह भी जान लो
वक़्त के मारे हुओ से मसखरी अच्छी नहीं
जो हमें इंसानियत से जोड़ न पाए कभी
सच कहूँ पंकज कभी वो शायरी अच्छी नहीं
9 टिप्पणियाँ:
वाह वाह ...शुभकामनायें गिरीश भाई !
क्या बात है...बहुत सुन्दर
JO hamen insaaniyat se
jod n paaye kabhee
sach kahoon pankaj kabhee
vo shaayree achchhe nahin
Bahut khoob , pankaj ji !
जो हमें इंसानियत से जोड़ न पाए कभी
सच कहूँ पंकज कभी वो शायरी अच्छी नहीं
बहुत सुन्दर...
हार कर के बाजियों को जीतना है ज़िंदगी
हार कर रोने लगें यह कमतरी अच्छी नहीं
हर किसी के भाग में होता नहीं है चन्द्रमा
क्या इसी इक बात से है चांदनी अच्छी नहीं
बहुत खूब...बहुत खूब....बहुत खूब....
हर मुसीबत से करेंगे हर घड़ी हम सामना
हों भले हालात जैसे खुदकशी अच्छी नहीं
बहुत खूब.
वाह वाह भईया...
बहुत ही उम्दा अशआर... प्रेरक...
सादर प्रणाम...
हर किसी के भाग में होता नहीं है चन्द्रमा
क्या इसी इक बात से है चांदनी अच्छी नहीं
आज अपना है नहीं पर कल रहेगा दोस्तो
कुछ नहीं होगा कभी यह सोच ही अच्छी नहीं
वाह !!! बेहतरीन , बेजोड़ , बेमिसाल. जीने की राह दिखाती सारगर्भित गज़ल.
Girish jee आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
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