आज 'करवाचौथ' है. कुछ पंक्तियाँ उन के लिये जो इस दिन को मनाती हैं, और जिनका हर दिन पति के लिये ही समर्पित होता है
सुंदर-शीतल चन्दा सबका,
नीलगगन में रहता है
मेरा चन्दा हर पल मेरे,
मन-आँगन में खिलता है.
बना रहे वह रौशन हरदम,
यही गुज़ारिश है भगवन.
जन्म-जन्म का साथ बड़े ही,
पुण्य-भाग से मिलता है..
सुख-दुःख तो आते रहते हैं,
लेकिन जब हो साथ प्रिये,
जीवन का हर रंग मुझे तो,
इक जैसा ही लगता है...
हर दिन करवाचौथ हमारा,
हर दिन चन्दा के दर्शन.
याद तुम्हारी कर के मेरा,
तन-मन सदा महकता है...
सुंदर-शीतल चन्दा सबका,
नीलगगन में रहता है.
मेरा चन्दा हर पल मेरे,
मन-आँगन में खिलता है
सुंदर-शीतल चन्दा सबका,
नीलगगन में रहता है
मेरा चन्दा हर पल मेरे,
मन-आँगन में खिलता है.
बना रहे वह रौशन हरदम,
यही गुज़ारिश है भगवन.
जन्म-जन्म का साथ बड़े ही,
पुण्य-भाग से मिलता है..
सुख-दुःख तो आते रहते हैं,
लेकिन जब हो साथ प्रिये,
जीवन का हर रंग मुझे तो,
इक जैसा ही लगता है...
हर दिन करवाचौथ हमारा,
हर दिन चन्दा के दर्शन.
याद तुम्हारी कर के मेरा,
तन-मन सदा महकता है...
सुंदर-शीतल चन्दा सबका,
नीलगगन में रहता है.
मेरा चन्दा हर पल मेरे,
मन-आँगन में खिलता है
बड़ा प्यारा स्नेह गीत लिखा है भाई जी !
ReplyDeleteशुभकामनायें !
बहुत ही प्यारा गीत लिखा है ……………मन के तारो को झंकृत कर गया।
ReplyDeleteसच इस शुभ अवसर पर आपकी इस रचना ने मन ख़ुश करदिया। शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत प्यारा गीत है भईया...
ReplyDeleteआनंद आ गया...
सादर प्रनाम....
बहुत सुन्दर गीत आज के दिन तो चंदा सबसे प्यारा लगता है.
ReplyDeletesneh me doobi sneh geet ke snehil panktiyan...sadar badhayee ke sath
ReplyDeletekarwachauth ki shubhakamnaaye
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव से रचा गीत
ReplyDeletekhubsurat bhaavo ko saji rachna...
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