नई ग़ज़ल / मेरा चन्दा हर पल मेरे, मन-आँगन में खिलता है.
>> Friday, October 14, 2011
आज 'करवाचौथ' है. कुछ पंक्तियाँ उन के लिये जो इस दिन को मनाती हैं, और जिनका हर दिन पति के लिये ही समर्पित होता है
सुंदर-शीतल चन्दा सबका,
नीलगगन में रहता है
मेरा चन्दा हर पल मेरे,
मन-आँगन में खिलता है.
बना रहे वह रौशन हरदम,
यही गुज़ारिश है भगवन.
जन्म-जन्म का साथ बड़े ही,
पुण्य-भाग से मिलता है..
सुख-दुःख तो आते रहते हैं,
लेकिन जब हो साथ प्रिये,
जीवन का हर रंग मुझे तो,
इक जैसा ही लगता है...
हर दिन करवाचौथ हमारा,
हर दिन चन्दा के दर्शन.
याद तुम्हारी कर के मेरा,
तन-मन सदा महकता है...
सुंदर-शीतल चन्दा सबका,
नीलगगन में रहता है.
मेरा चन्दा हर पल मेरे,
मन-आँगन में खिलता है
सुंदर-शीतल चन्दा सबका,
नीलगगन में रहता है
मेरा चन्दा हर पल मेरे,
मन-आँगन में खिलता है.
बना रहे वह रौशन हरदम,
यही गुज़ारिश है भगवन.
जन्म-जन्म का साथ बड़े ही,
पुण्य-भाग से मिलता है..
सुख-दुःख तो आते रहते हैं,
लेकिन जब हो साथ प्रिये,
जीवन का हर रंग मुझे तो,
इक जैसा ही लगता है...
हर दिन करवाचौथ हमारा,
हर दिन चन्दा के दर्शन.
याद तुम्हारी कर के मेरा,
तन-मन सदा महकता है...
सुंदर-शीतल चन्दा सबका,
नीलगगन में रहता है.
मेरा चन्दा हर पल मेरे,
मन-आँगन में खिलता है
9 टिप्पणियाँ:
बड़ा प्यारा स्नेह गीत लिखा है भाई जी !
शुभकामनायें !
बहुत ही प्यारा गीत लिखा है ……………मन के तारो को झंकृत कर गया।
सच इस शुभ अवसर पर आपकी इस रचना ने मन ख़ुश करदिया। शुभकामनायें
बहुत प्यारा गीत है भईया...
आनंद आ गया...
सादर प्रनाम....
बहुत सुन्दर गीत आज के दिन तो चंदा सबसे प्यारा लगता है.
sneh me doobi sneh geet ke snehil panktiyan...sadar badhayee ke sath
karwachauth ki shubhakamnaaye
बहुत सुन्दर भाव से रचा गीत
khubsurat bhaavo ko saji rachna...
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