>> Saturday, May 5, 2012
लोग मेरे साथ क्यों कर चल रहे हैं
बस इसे ही देख कर वे जल रहे हैं
बस इसे ही देख कर वे जल रहे हैं
लोग खुद तो कुछ नहीं करते यहाँ
हम अगरचे कर रहे तो खल रहे हैं
जो सही थे हम नहीं पहचान पाए
मर गये तो हाथ केवल मल रहे है
ये मेरे सपने मुझी पर तो गए हैं
अस्त हो कर के दुबारा पल रहे हैं
चन्द्रमा-सूरज नहीं बन पाएँगे
हम तो केवल दीप बन कर जल रहे हैं
जिनको दौलत, हुस्न पे कल नाज़ था
आज देखो वे सितारे गल रहे हैं
एक दिन सूरत बदल कर ही रहेंगे
किन्तु अपने काम कल पे टल रहे हैं
11 टिप्पणियाँ:
जो सही थे हम नहीं पहचान पाए
मर गये तो हाथ केवल मल रहे है,..
वाह...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति // बेहतरीन रचना //
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चन्द्रमा-सूरज नहीं बन पाएँगे
हम तो केवल दीप बन कर जल रहे हैं
अच्छा लिखा है ...!!
शुभकामनायें ...!!
लोग मेरे साथ क्यों कर चल रहे हैं
बस इसे ही देख कर वे जल रहे हैं
लोग खुद तो कुछ नहीं करते यहाँ
हम अगरचे कर रहे तो खल रहे हैं
बहुत खूब .... खूबसूरत गजल
आज 06/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
भूल सुधार ---
कल 07/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
चन्द्रमा-सूरज नहीं बन पाएँगे
हम तो केवल दीप बन कर जल रहे हैं
ये दीपक भी कम रौशनी नहीं देता.
और कल काम टालिए मत :) आज कर ही डालिए:)
बहुत सुन्दर शब्द रचना बहुत २ बधाई |
सुंदर भाव संयोजन से सुसजित सार्थक प्रस्तुतिसमय मिले आपको तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/
लोग मेरे साथ क्यों कर चल रहे हैं
बस इसे ही देख कर वे जल रहे हैं
लोग खुद तो कुछ नहीं करते यहाँ
हम अगरचे कर रहे तो खल रहे हैं ..seedhi see baat na mirch masala..dil ka haal kahe dilwala...bahut hee umda prastuti..sadar badhayee..meri ghazal bhee aapke margdarshan ka intezaar kar rahi hai...samay mile to aayiyega
सुन्दर ग़ज़ल भईया...
सादर प्रणाम.
sabhi mitro ka dil se aabhar.....
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