गीत / जिसके लिए लड़े ना कोई, उसके लिए लड़ें
>> Tuesday, July 16, 2013
जिसके लिए लड़े ना कोई, उसके लिए लड़ें
ऐसा प्यारा जीवन अपना, आओ चलो गढ़ें.
जो प्यासा है उसको पानी देना अपना धर्म .
गिरे हुए को अगर उठाया वह पुनीत है कर्म .
भटके जन को राह दिखाई यह भी है इक पुन्य ,
सच के लिए लड़ेंगे हम तो इसमें है क्या शर्म?
साथ-साथ दूजों को ले कर हम भी सदा बढ़ें।
जिसके लिए लड़े ना कोई, उसके लिए लड़ें।।
चोट ह्रदय को पहुंचाएंगे दुश्मन उनका काम
मगर हमें सहना है यह सब, चलना है अविराम।
शत्रु से भी हंस कर मिलना, है यह सुन्दर रीत
इक दिन हारेंगे ही शत्रु, सुनो मेरा पैगाम।
सहज रहें जीवन में हर पल, क्यों हम बहुत अड़ें।।
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असफलताएं और नहीं कुछ, हैं ये है तनिक विराम.
बिना रुके चलते जाएँ तो, मिल जाएगा धाम।
ईश्वर उनके साथ हमेशा जो ना माने हार,
इक दिन उनके साथ खड़े होते है अल्ला-राम.
जीवन इक पर्वत है इस पर, हंस कर सदा चढ़ें।
5 टिप्पणियाँ:
बहुत उम्दा,सार्थक सुंदर सृजन,,,वाह !!! क्या बात है,,,
RECENT POST : अभी भी आशा है,
सुंदर अभिव्यक्ति ...सार्थक संदेश ...!!
बहुत सुंदर ...
सार्थक संदेश देती सुंदर रचना ...
सार्थक सुन्दर सन्देश
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