आज़ादी का मतलब ये है जन-जन को अधिकार मिले
>> Sunday, August 16, 2015
आज़ादी का मतलब ये है जन-जन को अधिकार मिले
और यहाँ जो कुर्सी पर है उसका सबको प्यार मिले.
मगर यहाँ तो रीत है उल्टी सच पर सौ-सौ पहरे हैं
किस न्यायलय में जाएं हम जख्म हमारे गहरे हैं .
जिनको अपना दर्द बताओ, अनदेखा कर देता है.
और हमारे अंतर्मन को पीड़ा से भर देता है.
कैसा लोकतंत्र है अपना पीड़ा ही हर बार मिले?
आज़ादी का मतलब ये है जन-जन को अधिकार मिले..
घोटालो से लिप्त हो गए नेता, अफसर, व्यापारी,
तीनो का गठजोड़ हो गया, इसीलिये आफत भारी.
पुलिस बेचारी दासी है वो केवल कहना मान रही
आज़ादी से पहले जैसे लाठी-गोली तान रही.
सड़को पर उतरे गर जनता मतलब वह अपराधी है
इसीलिये अब जुल्म बढ़ गया जनता सीधीसादी है .
जिनको हम चुनते क्यों उनसे अपमानित व्यवहार मिले.
आज़ादी का मतलब ये है जन-जन को अधिकार मिले..
बद से बदतर लोकतंत्र है इसका मरना बाकी है
जो दोषी हैं उनके तन पर खादी है या खाकी है .
घर बैठो , आराम करो, तुम जुल्म सहो तो अच्छा है.
नीली फिल्मे, टीवी देखो मौन रहो तो अच्छा है .
चुटकुल्लों की बाढ़ आ गयी, कवि मानो दरबारी है .
सच्ची कविता हिन्दी जैसी भारत में बेचारी है.
जाने कब हो रामराज कब देश हमें गुलजार मिले.
आज़ादी का मतलब ये है जन-जन को अधिकार मिले
और यहाँ जो कुर्सी पर है उसका सबको प्यार मिले.
और यहाँ जो कुर्सी पर है उसका सबको प्यार मिले.
मगर यहाँ तो रीत है उल्टी सच पर सौ-सौ पहरे हैं
किस न्यायलय में जाएं हम जख्म हमारे गहरे हैं .
जिनको अपना दर्द बताओ, अनदेखा कर देता है.
और हमारे अंतर्मन को पीड़ा से भर देता है.
कैसा लोकतंत्र है अपना पीड़ा ही हर बार मिले?
आज़ादी का मतलब ये है जन-जन को अधिकार मिले..
घोटालो से लिप्त हो गए नेता, अफसर, व्यापारी,
तीनो का गठजोड़ हो गया, इसीलिये आफत भारी.
पुलिस बेचारी दासी है वो केवल कहना मान रही
आज़ादी से पहले जैसे लाठी-गोली तान रही.
सड़को पर उतरे गर जनता मतलब वह अपराधी है
इसीलिये अब जुल्म बढ़ गया जनता सीधीसादी है .
जिनको हम चुनते क्यों उनसे अपमानित व्यवहार मिले.
आज़ादी का मतलब ये है जन-जन को अधिकार मिले..
बद से बदतर लोकतंत्र है इसका मरना बाकी है
जो दोषी हैं उनके तन पर खादी है या खाकी है .
घर बैठो , आराम करो, तुम जुल्म सहो तो अच्छा है.
नीली फिल्मे, टीवी देखो मौन रहो तो अच्छा है .
चुटकुल्लों की बाढ़ आ गयी, कवि मानो दरबारी है .
सच्ची कविता हिन्दी जैसी भारत में बेचारी है.
जाने कब हो रामराज कब देश हमें गुलजार मिले.
आज़ादी का मतलब ये है जन-जन को अधिकार मिले
और यहाँ जो कुर्सी पर है उसका सबको प्यार मिले.
1 टिप्पणियाँ:
Sachchaaee Se Ru-Bu-Ru Karaatee Sashakt Rachna . Hardik Badhaee .
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