मातृदिवस पर दोहे और शेर
>> Sunday, May 8, 2016
चाहे कह लो तुम 'मदर', या 'माता' सब एक।
हो चाहे जिस देश की, माँ है मतलब नेक।।
एक दिवस काफी नहीं, हर दिन माँ का होय.
जिसको माँ का सुख नहीं, वह जीवन भर रोय।।
उसका है आँचल बड़ा, जिसमे विश्व समाय।
दुःख भागे जब माँ कभी, हमको गले लगाय।।
धरती से भी है बड़ा, माँ का हृदय विशाल।
अपने हिस्से की खुशी, देती बिना मलाल।।
भूल कभी जाना नहीं, माता का बलिदान।
छाँव प्राप्त करने जहां, खुद आते भगवान।।
हमें विश्वास के सपनो से फौरन जोड़ देती है
ये माँ है जो हमारे दुःख के पर्वत तोड़ देती हैं
अगर बच्चा खिलौनों के लिए रोने लगे तो माँ
नहीं कुछ सोचती है और गुल्लक फोड़ देती है
पिला कर दूध अपना माँ हमे करती बड़ा कितना
मैं भूखा ना रहूं वो अपना हिस्सा छोड़ देती है
अगर माता नहीं होती हमारा हाल क्या होता
यही तो ज़िंदगी को खूबसूरत मोड़ देती है
हो चाहे जिस देश की, माँ है मतलब नेक।।
एक दिवस काफी नहीं, हर दिन माँ का होय.
जिसको माँ का सुख नहीं, वह जीवन भर रोय।।
उसका है आँचल बड़ा, जिसमे विश्व समाय।
दुःख भागे जब माँ कभी, हमको गले लगाय।।
धरती से भी है बड़ा, माँ का हृदय विशाल।
अपने हिस्से की खुशी, देती बिना मलाल।।
भूल कभी जाना नहीं, माता का बलिदान।
छाँव प्राप्त करने जहां, खुद आते भगवान।।
हमें विश्वास के सपनो से फौरन जोड़ देती है
ये माँ है जो हमारे दुःख के पर्वत तोड़ देती हैं
अगर बच्चा खिलौनों के लिए रोने लगे तो माँ
नहीं कुछ सोचती है और गुल्लक फोड़ देती है
पिला कर दूध अपना माँ हमे करती बड़ा कितना
मैं भूखा ना रहूं वो अपना हिस्सा छोड़ देती है
अगर माता नहीं होती हमारा हाल क्या होता
यही तो ज़िंदगी को खूबसूरत मोड़ देती है
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