''सद्भावना दर्पण'

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नव वर्ष की शुभकामनाएं

>> Monday, April 12, 2021


नववर्ष की मधुरिम बेला, नवपथ को प्रस्थान करें ।।
क्या खोया है क्या पाया है, इन सबका संधान करें ।

अपनी जड़ को याद रखें हम, वो ही सुखमय कारी है ।
पश्चिम को क्यों देखें प्रतिपल, ऐसी क्या लाचारी है।
हम अपने बलबूते अपना ज्ञान और विज्ञान करें ।।

रहें नित्य गतिशील, सभी को लेकर अपने साथ चलें ।
भूले से भी किसी व्यक्ति को, कभी नहीं हम लोग छलें।
वृद्ध और जो ज्ञान वृद्ध हैं, उन हम सब का सम्मान करें ।।

काम अधूरे जो सब रह गए, पूर्ण उन्हें अब करना है ।
श्वास हमारी कब थम जाए, हमको सोच संवरना है।
छुद्रभाव से दूर रहें हम, जीवन नित्य महान करें ।।

माना इस कोरोनो ने ही सब को बेहद कष्ट दिया।
लेकिन संयम से जीने का,मंत्र हमें स्पष्ट दिया।
सबका जीवन बचा रहे,बस कृपा यही भगवान करें।

नव वर्ष की मधुर बेला, नव पथ को प्रस्थान करें।।

गिरीश पंकज

1 टिप्पणियाँ:

संगीता स्वरुप ( गीत ) April 14, 2021 at 7:09 AM  

काम अधूरे जो सब रह गए, पूर्ण उन्हें अब करना है ।
श्वास हमारी कब थम जाए, हमको सोच संवरना है।
छुद्रभाव से दूर रहें हम, जीवन नित्य महान करें ।।

इस नव वर्ष में हम सब कटुता ख़त्म कर इश्वर से प्रार्थना करें सब सुखी रहें स्वस्थ रहें

सुनिए गिरीश पंकज को

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