''सद्भावना दर्पण'

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विश्व महिला दिवस पर गीत, ग़ज़ल-दोहे

>> Monday, March 7, 2022

महिला दिवस की बधाई के साथ एक गीत

गीत/ अजन्मी बच्ची की पुकार

मैं जन्म नहीं ले पाई लेकिन,
कल दोबारा आऊँगी।
कितना कुछ मै कर सकती थी,
तुमको मै बतलाऊँगी।

अगर जन्म हो जाता मेरा, 
दुनिया को महकाती मैं,
रानी बिटिया बन कर इक दिन,
सबकी शान बढ़ाती मैं.
अब हूँ मैं इक ''मुक्कड़'' में,
कैसे इतिहास बनाऊँगी।

आ जाती मैं गर दुनिया में,
लक्ष्मीबाई-सी बनती.
वीरप्रसूता इस धरती में,
मैं भी वीरों को जनती.
औरत ने औरत को मारा,
इसे भूल ना पाऊँगी।

लड़का-लड़की एक बराबर,
जिसने यह स्वीकारा है,
उसको बारम्बार नमन है,
वही चमकता तारा है.
माँ ही मेरी दुश्मन क्यों थी,
प्रभु को क्या समझाऊँगी।

बहुत हो गया पाप धरा पर,
बंद करो यह अत्याचार.
जैसे कटती गऊ माताएं,
वैसे मैं कटती लाचार.
बोझ न समझो मुझे, वक़्त पर-
सबकी शान बढ़ाऊँगी।

मैं जन्म नहीं ले पाई लेकिन,
कल दोबारा आऊँगी.
कितना कुछ मै कर सकती थी,
तुमको मै बतलाऊँगी...

ग़ज़ल

ईश्वर का उपकार है नारी
धरती का श्रृंगार है नारी

एक नहीं हर दिन है इसका
हर पल ही त्यौहार है नारी

नारी को भेजा देवी ने
मानो इक अवतार है नारी

मत समझो कमजोर इसे तुम
वक्त पड़े हथियार है नारी

इस के बिन सूनी है दुनिया
इक सुंदर संसार है नारी

घर हो या हो बाहर हर पल
हर दम जिम्मेदार है नारी

जो कर दे तन मन को पावन
वह गंगा की धार है नारी
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पाँच दोहे

जिसका तन कोमल मगर, मन से जो मजबूत।
वह नारी है जानिए, ईश्वर की ही दूत ।। 1

नारी जो ना है अरी, जिसका हृदय विशाल।
अपनी क्षमता से करे, हरदम नये कमाल।। 2

महिला से 'महि' होत है , सुंदर और सुवास। 
वो घर में जब तक रहे, हो लक्ष्मी का वास।। 3

नारी कोमल फूल है, ज्यों पूजा-सामान।
इसे नष्ट वो ही करे, फितरत से शैतान।। 4

अनपढ़ या शिक्षित कोई, नारी गुण की खान।
भूले से भी ना करें , देवी का अपमान।। 5

@ गिरीश पंकज

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