इक दिन ये विस्फोट करेगी / टूटे अगर करोडो चुप्पी
>> Monday, April 15, 2013
बहुत हो गया तोड़ो चुप्पी
जिंदा हो तो छोडो चुप्पी
अगर नहीं हो कायर तो फिर
बेमतलब क्यों ओढ़ो चुप्पी
वक़्त बगावत का आया है
अरे, अभी मत जोड़ो चुप्पी
देखो निकलेगा अंगारा
हिम्मत करो निचोड़ो चुप्पी
कूच करो अब रुक मत जाना
घडा पाप का फोड़ो ...चुप्पी
देखो दुश्मन बढ़ आया है
आओ, निबटो, दौड़ो चुप्पी
मंजिल मिल पायेगी कैसे
अपना रस्ता मोड़ो चुप्पी
इक दिन ये विस्फोट करेगी
टूटे अगर करोडो चुप्पी
'पंकज' मत घबरा मरने से
खुद को तनिक झिन्झोड़ो चुप्पी
4 टिप्पणियाँ:
@टूटे अगर करोडो चुप्पी ...
ये "अगर" बहुत खास है और "चुप्पी" मजबूत, इतनी आसानी से नहीं टूटता है।
कुछ करना है तो चुप्पी तोड़ना होगा,,,
बहुत उम्दा गजल ,आभार पंकज जी,,,
बहुत दिनों से आपका मेरी पोस्ट पर आना नही हुआ,,,,आइये आपका स्वागत है,,,
Recent Post : अमन के लिए.
चुप्पी ही टूटे तो बात ही क्या .
ओझ मयी ग़ज़ल!
लिखते रहिये
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