प्रभुभक्तो के लिए एक भक्तिगीत
>> Saturday, July 4, 2015
मन क्यों डरता इस दुनिया से, जब ईश तुम्हारे अंदर है
यह ज्ञान सदा समझो सच्चा, संतोषी मन ही सुन्दर है .
भगवान हमें न दिख पाएं ,
पर वे रहते हैं साथ सदा.
हम लाख मुसीबत में आएं,
मन में रक्खे विश्वास सदा.
हम ध्यान करें करबद्ध रहें,
वह आएगा सुखसागर है...
मन क्यों डरता इस दुनिया से, जब ईश तुम्हारे अंदर है
यह ज्ञान सदा समझो सच्चा, संतोषी मन ही सुन्दर है .
परहित का ध्यान करें हरदम,
स्वारथ का भाव न आ जाए.
यह मानव जन्म मिला हमको,
बेकार न यह जाने पाए.
जिसने ऐसा जीवन जीया,
उसके वश में नटनागर है. ..
मन क्यों डरता इस दुनिया से, जब ईश तुम्हारे अंदर है
यह ज्ञान सदा समझो सच्चा, संतोषी मन ही सुन्दर है.
कोई छोटा या बड़ा नहीं,
हर काम यहां कल्याणी है.
गर कर्म करे अनपढ़ अपना,
समझो वह भी इक ज्ञानी है .
सबको आपने मन में रखना,
जैसे तू एक समंदर है.
मन क्यों डरता इस दुनिया से, जब ईश तुम्हारे अंदर है
यह ज्ञान सदा समझो सच्चा, संतोषी मन ही सुन्दर है .
4 टिप्पणियाँ:
मन क्यों डरता इस दुनिया से, जब ईश तुम्हारे अंदर है
यह ज्ञान सदा समझो सच्चा, संतोषी मन ही सुन्दर है.
..बहुत सुन्दर गीत
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, संडे स्पेशल भेल के साथ बुलेटिन फ्री , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत सुंदर ।
बढ़िया !
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