>> Friday, June 26, 2015
जिसको कुछ भी याद नहीं
उसको फिर अवसाद नहीं
अनबन का असली कारण
आपस में संवाद नहीं
ज़िंदा है तो बोलेगा
मुर्दों में प्रतिवाद नहीं
सहज-सरल वो शख्स रहे
जिसमे कोई विषाद नहीं
परनिंदा का रोग बुरा
वक्त करो बर्बाद नहीं
जो है उसको साफ़ कहो
जीवन छायावाद नहीं
अब भी जुल्म-सितम ढेरो?
क्या जन-गण आज़ाद नहीं
दिल्ली अब तक है बहरी
सुनती कुछ फ़रियाद नहीं
हम तो बात कहें अच्छी
पर वैसा प्रतिसाद नहीं
हम सुनते सबकी बातें
हम कोई जल्लाद नहीं
अब तो अवसरवाद चले.
इससे बढ़ कर वाद नहीं
सहज-सरल कविता सच्ची
शायद मेरे बाद नहीं
चिंतन, मनन, पठन पंकज
इससे बेहतर खाद नहीं
उसको फिर अवसाद नहीं
अनबन का असली कारण
आपस में संवाद नहीं
ज़िंदा है तो बोलेगा
मुर्दों में प्रतिवाद नहीं
सहज-सरल वो शख्स रहे
जिसमे कोई विषाद नहीं
परनिंदा का रोग बुरा
वक्त करो बर्बाद नहीं
जो है उसको साफ़ कहो
जीवन छायावाद नहीं
अब भी जुल्म-सितम ढेरो?
क्या जन-गण आज़ाद नहीं
दिल्ली अब तक है बहरी
सुनती कुछ फ़रियाद नहीं
हम तो बात कहें अच्छी
पर वैसा प्रतिसाद नहीं
हम सुनते सबकी बातें
हम कोई जल्लाद नहीं
अब तो अवसरवाद चले.
इससे बढ़ कर वाद नहीं
सहज-सरल कविता सच्ची
शायद मेरे बाद नहीं
चिंतन, मनन, पठन पंकज
इससे बेहतर खाद नहीं
2 टिप्पणियाँ:
सरल भाषा, स्पस्ष्ट सन्देश !
क्या बात
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